Sunday, 22 May 2016

Hajrat Peer Masaykh shah(r.a){Naat Sarif}

जलवा मशायख पीरका
बज रहा है हर तरफ डंका मशायख पीरका
पीर है पीरोके, क्या कहना, मशायख पीरका।

एक जमाना क्यू न हो शयदा मशायख पीरका
हय बडी इज्जत बडा रूतबा मशायख पीरका।

सरमे  सवदा अपका, दिलमे मोहब्बत आपकी
हो गया हू दिलसे में शयदा मशायख पीरका।

मिस्ले मेहरो माह रवशन हय करामत अपकी
नुर हे चारो तरफ फैला मशायख पीरका।

अच्छे अच्छोने जूकाए अपने सर सरकारमे
अल्लाह। अल्लाह। रोअब हे एसा मशायख पीरका।

मालो जरकी क्या हकीकत जानो दिल कूरबा करू
काश आ जाये नजर जलवा मशायख पीरका।

क्यू न मेरे हालपर  खालिकका हो फ़जलो करम
चाहने वाला हू मे किसका? मशायख पीरका।

दिल बहलटाही नही हे, सूरतमे "राज" का,
जबसे रोजा देखकर आया मशायख पीरका।

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